बेकरी के अहाते के पिछवाड़े वाले गेट पर ही मनप्रीत ने साजिद को स्कूटी से उतारा और तेज़ी से चल पड़ी।उसकी धड़कन थोड़ी बढ़ी हुई थी क्योंकि एक तो थोड़ी ज़्यादा ही देर हो गई थी, दूसरे साजिद ने आज उसे छू दिया था। वह साजिद के "बाय" कहने का जवाब भी ठीक से नहीं दे पाई कि स्कूटी उड़ चली।लेकिन बेचारी मनप्रीत कहां जानती थी कि उसके रवाना होते ही पीछे से घरघरा कर एक बाइक और उसके साथ - साथ रवाना हुई है।मेन रोड पर तो ट्रैफिक में साथ - साथ चलने वाली गाड़ियों का कोई अहसास नहीं