(20) साइकी अब उस कमरे में अकेली खड़ी थी । उसी कमरे में एक छोटी सी मशीन लगी हुई थी और लकड़ी के एक तख्ते पर ट्रांसमीटर रखा हुआ था । साइकी की नजरें घड़ी पर लगी हुई थीं और उसके चेहरे से बैचेनी प्रगट हो रही थी । फिर ट्रांसमीटर पर किसी को सम्बोधित करते हुए उसने कहा । “तुम उड़ान कर चुके हो ?” “हां ।” दूसरी ओर से आवाज आई । “कितनी देर में पहुंच जाओगे ?” “आधे घंटे में ।” “इसका मतलब यह है कि मैं आधा घंटा बाद बेन्टो को सुरंगे उड़ाने का सिग्नल दूं