सुनीता जी अपने आखों के किनारे साफ करती हैं और फिर स्तुति से बताती हैं । सुनीता जी - तुम्हारी दोस्त ( आभा ) छः महीने की थी बेटा ... । हम उसे लेकर अपने मायके गए हुए थे , उससे जुड़ी पसनी की रस्म करने के लिए । जिस दिन वो रस्म की जानी थी , उसके एक दिन पहले हमारी छोटी बहन ने हमारे साथ मार्केट जाने की जिद की । हमने मना भी किया , तो उसने कहा कि वह गुड़िया के लिए कपड़े खरीदना चाहती है । हमने उसे अकेले या फिर भाई को साथ ले