ये कैसा संयोग - भाग - 1

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आज फिर वसुधा जी अपनी छोटी बेटी का सिर अपनी गोद में रखकर, किसी सोच में गुम हो गई, "ईश्वर मेरी कितनी परीक्षाएँ लेंगे? मुझसे ऐसा क्या गुनाह हुआ है जो ईश्वर मुझे ये दिन दिखा रहे हैं।" इतना सोच कर वसुधा जी अपने अतीत में चली गई... वसुधा जी जब अनिल जी से विवाह करके उन के जीवन में आई थी तो कितनी खुश थी। रेलवे के उच्च पद पर आसीन अधिकारी की बेटी थी वसुधा! दुःख क्या होता है उसने कभी न तो समझा और न ही कभी जाना। जब