आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 5

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शाम के करीब सात बज रहे थे और आभा का फोन बार - बार रिंग होकर कट रहा था । आभा गहरी नींद में थी । लेकिन फिर फोन की आवाज़ सुनकर, आखिर उसकी नींद खुल ही गई । उसने अपनी आंखें मली और अपनी नज़र दीवाल घड़ी पर घुमाई , तो उसे टाइम का पता चला । वो सोचने लगी कि रोते - रोते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला , और शायद पिछले कुछ घंटों से वह गहरी नींद में ही है । वह बिस्तर से उठी और कबर्ड से कपड़े निकालने लगी ,