शहरी बनाम ग्रामीण

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बचपन में प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी की कविता भारत माता ग्रामवासिनी ...पढ़ते थे. इस कविता में ग्रामीण भारत की अवस्था का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है. कवि के अनुसार भारत माता गाँवों में निवास करती है, अर्थात् सच्चे अर्थों में भारत गाँवों का देश है तथा गाँवों में ही भारत माता के दर्शन हो पाते हैं। यहाँ पर खेतों में हरियाली फैली रहती है और उनमें अनाज लहराता रहता है, परन्तु इसका हरा आंचल मैला-सा अर्थात् गन्दगी से व्याप्त रहता है, अर्थात् यहाँ गाँवों में गन्दगी रहती हैं। भारतमाता की दृष्टि दीनता से ग्रस्त, निराशा से