प्रेम की सबसे बड़ी विशेषता, अगर कोई है, तो यह कि यह भावनाओं के सभी रंगों से परिपूर्ण रहकर भी सदा सफेद और स्वच्छ सत्य के अंदर ही अपना परमोत्कृष्ट ढूंढना है, पर ऐसा तत्व भक्ति स्वरुप के अलावा कहींऔर मिलना असंभव ही लगता है। प्रायः, यह ही दृष्टिगोचर होता है, कि मानव अपनी गलत आदतों की दास्तवता से स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहता है, पर अति लगाव या असंयत वासना के कारण ऐसा नहीं कर पाता, इसे मन की कमजोरी भी कह सकते है। प्रेम का उपयोग हम संसार में तीन स्वरुपों के अंतर्गत दर्शाते हैं। 1. शारीरक प्रेम2. मन का