घनश्यामदास पाण्डेय और उनका काव्य वर्तमान शताब्दी के प्रथमार्द्ध में झांसी जिले और उसके आसपास जो काव्य सक्रियता थी उसके पुरुरस्कर्ताओं में कविवर घनश्याम दास पांडेय का प्रमुख स्थान है। यह दुर्भाग्य का विषय है कि उनका काव्य प्रकाशन के अभाव में हिंदी जगत में उस व्यापक आस्वाद की वस्तु नहीं बन पाया जिसके वह अधिकारी थे। हिंदी साहित्य का इतिहास लेखन प्रवृत्ति परक होने से उसमें कुछ प्रतिनिधि नामों का ही उल्लेख होता रहा और पांडेय जी की तरह अनेक कवियों को व्यापक काव्य धारा के साथ जोड़ने का प्रयास ही नहीं हुआ सबसे बड़ी विडंबना तो यह है