प्रभात और हर्षवर्धन कॉलेज कैंपस में बने छोटे से गार्डन में बैठे हुए थे। "भाई तूने अपनी तो सेटिंग कर रखी है, जरा मेरे बारे में भी कुछ सोच, कुछ तो बता मैं आखिर त्रिधा को कैसे समझाऊं?" हर्षवर्धन ने परेशान होते हुए प्रभात से कहा। "अचानक क्या हुआ?" प्रभात ने हर्षवर्धन से पूछा क्योंकि कल तक तो उसे हर्षवर्धन बिल्कुल ठीक लग रहा था मगर आज उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि वह कितना उदास है। "त्रिधा मुझसे प्यार नहीं करती।" हर्षवर्धन ने मुंह लटका कर कहा। "उसे थोड़ा वक्त दे हर्ष, हो सकता है