टेढी पगडंडियाँ - 2

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टेढी पगडंडियाँ 2 मंगर ने सुना तो मसखरी से पूछ बैठा , ये मेरी ही है न । किसी और की तो नहीं । कहने को तो यह मजाक था पर उसकी शक्ल बता रही थी कि उसके मन में शक का कीङा कुलबुला रहा है । अगले दिन सुबह दिन निकलते ही वह कुलीनों की बस्ती के दो चक्कर काट आया कि कहीं बच्ची से मिलती जुलती शक्ल वाला कोई आदमी दीख जाये तो उसके सीने में अपना चाकू उतार दे पर उसके दोनों चक्कर बेकार गये । कहीं ऐसा कोई आदमी था ही नहीं तो