जैसे को तैसा

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पंडित राम सनेही एक सेवानिवृत्त शिक्षक थे। अवकाश प्राप्ति के बाद उन्होंने कस्बे के बाहर शहर को जोड़नेवाली मुख्य सड़क के किनारे दो बिस्वा जगह लेकर अपना एक छोटा सा घर बना लिया था। घर बनाने के बाद उनकी लगभग एक बिस्वा जगह अभी खाली पड़ी हुई थी जिसे पैसे के अभाव में उन्होंने अभी तक घेरा भी नहीं था। मुख्य सड़क पर शहरीकरण की तरफ बढ़ रही इस बस्ती में जमीनों के भाव अब आसमान छूने लगे थे। निःसंतान पंडित जी पेंशन के पैसों से किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहे थे और अर्थाभाव की वजह से अपनी बची हुई