मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय चौबीस मरदप्रधान समाज में घर में एक मरद का होना अत्यावश्यक है । वरना घर घर जैसा नहीं लगता । इसीलिए औरतों के लिए कोई आशीर्वाद नहीं बना । उनके हिस्से में जो भी आशीर्वाद आये , वे भी उन मर्दों के लिए हैं जिन पर वह औरतें आश्रित हैं । कुमारी लङकियों को आशीष मिलती है – तेरे भाई भतीजे बने रहें । और सुहागिनों को आशीष मिलती है – तेरा सुहाग बना रहे । दूधो नहाओ , पूतो फलो । सतपुत्री हो । भगवान सात बेटों की मीँ बनाये । पूतो