रहेमान चाचा

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दोस्तों, मैं कोई लेखक नहीं हूँ की आप सबको एक कहानी सुना शकु, मगर जेसे मैने कहा की ये मेरे साथ घटित एक सत्यघटना है. जो मैं आप लोगों को बताना पसंद करूँगा. तो सभी यात्रियों से नम्र निवेदन है की वो अपने-अपने खुरशी की पेटी बाँध ले क्यूंकि अभी ये यादों का हवाईजहाज भूतकाल में उड़ान भरने को तैयार हो चुका है. तो चलिये उस समय में जब ये वैश्विक सोला साल का था........ अकेले-अकेले जूनी पूरानी यादे ताज़ा करता रहेता था. नये घर में माताजी और पिताजी बराबर से सज गए थे और आस-पड़ोस में पारेख परिवार की