आज कमली काम पर वापस आ गई, कल शाम को ही फोन कर दिया था कि आँटी बर्तन मत धुलना, मैं कल सुबह से आना शुरू कर दूंगी।कल ही तेरहवीं थी उसके पति की।मैं थोड़ी हैरान तो थी,लेकिन उसकी सारी व्यथा-कथा मैं जानती थी, इसलिए समझ तो रही थी कि उसके लिए मातम-पुरसी के ढोंग से अधिक महत्वपूर्ण उसका कार्य था। कमली लगभग 35 वर्षीय महिला है, जो मेरे यहाँ झाड़ू-पोछा औऱ बर्तन का काम करती है,2-3 अन्य घरों में काम करके अपने बच्चों का पेट भरती है।उसके तीन बच्चे हैं एक बेटी और दो बेटे।वह दूसरी पत्नी है,