उपन्यास भाग—११ दैहिक चाहत –११ आर. एन. सुनगरया, तनूजा-तनया ने अपनी मनोदशा विस्तार पूर्वक, अपराध बोध के मिश्रित शब्दों में जब व्यक्त की........तब शीला हक्का-वक्का रह गई, ये क्या सोच लिया, बेटियों ने !! शीला कोई एक मात्र मॉं नहीं है, संसार में, जिसने अपनी औलाद के लालन-पालन-पोषण के लिये, भरी-पूरी युवावस्था कुर्बान की है।