करन ने फेंके हुए कांच के ग्लास के टुकड़े जोया के पास गिरे थें। जोया ने करन के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हूं।” करन ने कहा, “अब दर्द नहीं होता।” जोया ने पूछा, “तो तुमने उसी वक्त बदला क्यों नहीं लिया?” करन ने कहा, “उस वक्त मेरे पास ना इतनी हिम्मत थी, ना ही ताकत थी।” जोया ने पूछा, “उस वक्त से तुम्हारा मतलब कहानी अभी बाकी है?” करन ने कहा, “हां।” जोया ने पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?” करन ने