गधा देश में यूं तो पूरे समय ही राजनीति की बहार रहती है परंतु चुनाव की आहट के साथ ही साथ गधों को गधा बनाने की पूरी राजनीति प्रारंभ हो जाती है । गधा देश के नेता अपने आप को जनता से अलग समझते हैं । ऐसे नेता जनता को जनता न समझ कर वोट बैंक समझते हैं । ऐसे नेता देश के गधों को उनकी जाति और नस्लों में बांट कर देखते हैं । वे अलग-अलग नस्लों के गधों को लुभाने के लिए अपनी पसंद का चारा चुनाव के समय उनके सामने डालने का प्रयास करते