प्रेम क्या है अमरता की निशानी या फिर सिर्फ एक जवानी जिसको हम जीना चाहते हैं या जिसको हम पाना चाहते हैं अथक प्रयास करने के बाद भी वह नहीं मिलता है फिर सोचते हैं कि कितना बड़ा है जो कि हमें नहीं मिलता है क्योंकि मनुष्य यह बात तो सर्वथा जानता है कि अगर वे चाहें कुछ भी नहीं सकता प्रेम कैसी चीज है जिसे कूटनीति के द्वारा जीता नहीं जा सकता है सदैव यही बात मन में बनी रहती है एक आशंका की तरह और एक आशा की तरह अगर मैं कहूं की प्रेम जिम्मेदारी का काम है।