अर्द्ध सत्य

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दिसम्बर महीने के दूसरे पक्ष का प्रथम रविवार सुबह के ग्यारह बजे के लगभग का समय गुनगुनी मीठी-सी धूप ऐसी धूप का आनन्द लेने के लिए लॉन में बैठे सास-ससुर पार्वती और मनोज को नाश्ता करवाने के पश्चात् स्वयं नाश्ता करके रीमा ऊपर छत पर आ गई और कमरे से कुर्सी तथा स्टूल के साथ ट्रांजिस्टर भी उठा लाई। ट्रांजिस्टर पर ‘विविध भारती’ लगाकर आज का समाचार पत्र देखने लगी। मुकुल नाश्ता करने के बाद दुबारा रज़ाई में लेट गया था। डॉ. प्रेरणा द्वारा उद्घाटित तथ्य उसके अन्तर्मन को उद्वेलित किए हुए था। रात को पार्श्व में लेटी रीमा से