ये उन दिनों की बात है - 23

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लेकिन उसे देखते ही, मैं कामिनी के पीछे छुप गई थी | क्योंकि उसकी उन दोस्तों के सामने मैं बिलकुल फीकी लग रही थी |क्या कर रही है, तू? मुझे उसके पीछे छुपते देख कामिनी ने टोका और उसने जबरदस्ती मुझे आगे धकेल दिया |उसने थोड़ा जोर से धकेला था मुझे, जिससे मैं बिलकुल बीचोंबीच आ खड़ी हुई थी | अब सागर की नजरें मुझे पर आ टिकी थी | और जब उसने दिव्या को देखा तो देखता ही रह गया | उसकी नज़रें उससे हट ही नहीं पा रही थी | जैसे एक साथ कई रंग-बिरंगे बल्ब एक साथ