फैसला

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प्रमिला जी ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर गम्भीर मुद्रा में विचार मंथन में लगी हुई थीं।14 वर्षीय पोती अनु के कटु तीव्र वचनों ने उनके जख्मों को हरा कर दिया था,"दादी, आप यहां क्यों आती हो?मेरे कमरे में आपके रहने से मुझे परेशानी होती है, आपके कारण पापा मुझे डांटते हैं।"अवाक थीं उसकी बातों से।बहू सुन रही थी लेकिन एक बार भी उसकी अभद्रता पर उसे नहीं डांटा।कुछ कहती भी क्यों, परोक्ष, अपरोक्ष रूप से बहू भी आजतक उनका अपमान और अवहेलना ही तो करती आई थी,वही देखकर बेटी बड़ी हो रही थी, फिर उससे सम्मान,