"समाज सेवा का मजा मेवा जिसने चखा, उसकी जिंदगी धन्य हो गई।" यह वाक्य हमारा नहीं मेवालाल जी का है। मेवालाल वैसे तो एक व्यापारी हैं लेकिन उन्हें सब लोग समाज सेवक के नाम से जानते हैं। मेवालाल ऐसी सभी जगह पर पाए जाते हैं ,जहां सेवा करने का कोई अवसर हो । वे कभी सड़क पर पानी पिलाते पिला रहे होते हैं , कभी दरिद्र नारायण का भोज करा रहे होते है और कभी सार्वजनिक कार्यक्रमों में पत्तलें उठा रहे होते हैं। उनको देख कर कभी ऐसा नहीं लगा कि उनकी सेवा में कोई स्वार्थ हो सकता