रत्नावली - भावुक

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यह उपन्यास तुलसीदास जी की पतनी रत्नावली के अल्पज्ञात जीवन और व्यक्तित्व पर केद्रित उपन्यास है। लेखक कल्पना सूझ बुझ के धनी है। साहित्य इतिहास में मौजूद कुछ नाम ,कुछ घटनाओं और कुछ कंवदंतयां के ढाचं मं डालकर कथा का मनोरम चदोंवा तानकर उन्होंने कथानक की दृष्टि से शानदार रचना तैयार कर ली थी । उपन्यास में ग्रामीण जीवन की सहजताए तीर्थ के प्रति ललक , साधु संतं की यात्राएं, धर्म के प्रति श्रद्वा, तीज त्योहारों का वर्णन, समाज के द्वेषी लोगांे के प्रसंग आदि से एंेसे मुद्दे हैं जो उपन्यास को बहुआयामी और सम्द्व करते हैं । भावुक जी