अनिल करमेले बाकी बचे कुछ लोग अनिल कर मेले का दूसरा कविता संग्रह बाकी बचे कुछ लोग लगभग 20 वर्ष के अंतराल बाद सेतु प्रकाशन से आया है। अनिल की कविताओं में अनुभूति और संवेदना के स्तर पर परिपक्वता मौजूद है। वह एक साफ स्पष्ट सोच और निष्पक्ष नजरिए के साथ कविता लिखते हैं ।अपनी यादों में बसे कस्बे के अपने मित्रों, वहां के वातावरण, स्थानीय मुद्दों ,सामाजिक सरोकारों से लेकर देश की हालत, विश्व सुंदरी , सांवली युवतियों की झिझक, विज्ञापन, जगत आउट वर्तमान युग में चल रहे पृथकतावादी विचार और साम्प्रदायिक शक्तियों की मानसिकता के खिलाफ भी कविता