कारवां ग़ुलाम रूहों का - अनमोल दुबे

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आज के टेंशन या अवसाद से भरे समय में भी पुरानी बातों को याद कर चेहरा खिल उठता है। अगर किसी फ़िल्म या किताब में हम आज भी कॉलेज की धमाचौकड़ी..ऊधम मचाते यारी-दोस्ती के दृश्यों को देखते हैं। या इसी पढ़ने या देखने की प्रक्रिया के दौरान हम, मासूमियत भरे झिझक..सकुचाहट से लैस उन रोमानी पलों से गुज़रते हैं। जिनसे कभी हम खुद भी गुज़र चुके हैं। तो नॉस्टेल्जिया की राह पर चलते हुए बरबस ही हमारे चेहरे पर एक मुस्कुराहट तो आज भी तैर ही जाती है।आज प्रेम भरी बातें इसलिए दोस्तों..कि आज मैं महज़ तीन कहानियों के एक