मुग़लकालीन एक छोटी सी गुमटी के बाहरी हिस्से में, लकड़ी का एक गोल कुंदा रखा है जिसपर जगह-जगह कटने के अनगिनत निशान बन गए हैं। ये निशान देखकर हम सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस रणबाँकुरे ने अपनी नश्वर देह पर चाकू के कितने वार सहे होंगे! गुमटी पर टिन का एक बोर्ड टांगकर उसपर यह लिख दिया गया है-’यहाँ चिकन का मीट मिलता है।’ इस अबूझ वाक्य को हालाँकि यह कथा लिखे जाने तक डिकोड नहीं किया जा सका है। गुमटी का काठ और टिन का लोहा; दोनों समकालीन हैं, और दोनों ही बड़ी बेबसी से सेवानिवृत्ति की