ये उन दिनों की बात है - 22

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"शुरू ये सिलसिला तो उसी दिन से हुआ था, अचानक तूने जिस दिन मुझे यूँ ही छुआ था, लहर जागी जो उस पल तन बदन में वो मन को आज भी महका रही है............" | यूँ ही ये गाना मेरे जेहन में नहीं आया था | कुछ बहुत ही ख़ास वजह थी जिसने मुझे इक अलग ही एहसास में बाँध दिया था | बहुत ही ख़ास था वो दिन जब में सागर को उसकी गेंद वापस करने गई | "कॉन्ग्रैचुलेशन्स" | मैंने उसे इस तरह देखा मानो पूछ रही होऊँ की तुम्हें कैसे पता | अरे बाबा!!! ये सरप्राइज़ लुक