"जरा सी देर हो जाएगी तो क्या होगा? घड़ी घड़ी ना उठाओ नजर घड़ी की तरफ।" पढ़ाई से जब भी वक्त मिलता मुग्धा यूं ही किताबों के पन्नों में खुद को समेट लेती थीं। कविताओं से कुछ ज्यादा ही लगाव जो था उसे। ट्रेन का सफर, कविताओं की पंक्तियां, और ऊपर से बारिश का मौसम। सब मुग्धा के इस शौख को आज और भी ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे। मुग्धा राठौड़। गुजरात के वापी शहर की एक राजपूत लड़की। परिवार में प्यारी सी मम्मा है जो सुबह-शाम बस सबकी चिंता और उनके लिए खुशियां बटोरने में लगी