छुट्टन लाल ..... जिंदाबाद "प्रणाम गुरुजी" कहते हुए उन्होंने हमारे घुटने छुए । आशीर्वाद के वचन के साथ ही वे सोफे पर अपनी तशरीफ रख चुके थे । हमारे घर आए हुए सज्जन को पूरा शहर दुर्जन के नाम से जानता है । वैसे वे हैं भी यथा नाम तथा गुण उनके लिए थाना ,कचहरी और जेल मानो घर ही है अब वे हमारे जैसे सीधे सरल जिंदगी जीने वाले के घर पधारे तो हम आशंकित होने लगे । दुर्जन आत्मीयता से बोले " गुरु जी हम तो बस आपकी शरण में है ।" हम