करेंसी ओ की अदायगी मैं रिजर्व बैंक सरकारों और संविधानो से सोना गिरो करवाती है, यानी कि यदि रिजर्व बैंक जितने मूल्य की करेंसी नोट बनाकर सरकार को देती है लगभग उतने ही मूल्य का सोना सरकार से लेती है. यह एक संतुलन है. और देश के अर्थ तंत्र के सही होने का प्रमाण भी. जब यह प्रक्रिया बंद हो जाती है यानी कि एकतरफा हो जाती है यानी कि रिजर्व बैंक सिर्फ नोट छपती रहती है मगर सोना गिरो नहीं करवाती, तब यह कहलाता है कि देश दिवालिया हो चुका है. अर्थ तंत्र की यह रेसिपी लगभग पूरे विश्व में