मार खा रोई नहीं - (भाग बारह)

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उस वर्ष स्कूल का सिल्वर जुबली था।भव्य कार्यक्रम का आयोजन होना था।नृत्य,गायन और अन्य रंगारंग कार्यक्रम के साथ नाटक भी होना था।हमेशा की तरह नाटक कराने की जिम्मेदारी मुझ पर थी।नृत्य तो इंटरनेट की मदद से सिखा देना आसान था।गायन के लिए संगीत टीचर थे पर नाटक के लिए अकेली मैं।स्क्रिप्ट लिखने से लेकर ड्रेस डिजाइन करने,नाट्य सामग्रियाँ जुटाने,स्टेज मैनेजमेंट करने के अलावा बच्चों को अभिनय सिखाने की जिम्मेदारी मुझ पर होती थी।सहयोग के लिए जो टीचर दिए जाते उनसे सहयोग से ज्यादा अड़चन ही मिलती।नाटक कराने में मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ती थी क्योंकि परफेक्शन मेरी कमजोरी है।किसी भी