तुम साथ हो जब मेरे...

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यह कहानी है एक ऐसे परिवार की जो लॉक डाउन होने के बाद मुसीबतों का सामना कर रहा था और एक दिन उसे आशा की किरण दिखती हैसंदीप एक पढ़ा-लिखा नौजवान है लेकिन वह कुछ परेशान हैं क्योंकि जब से लॉक डाउन हुआ है तब से उसकी ऑफिस बंद हो गई है कुछ दिन पहले उसे सूचना मिली कि उसका बॉस कोरोना के कारण चल बसा था इस वजह से उसकी फैमिली ने यह तय किया कि वह इस ऑफिस को बंद कर देंगे यह उनके लिए अपशकुन है इस वजह से