"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू घर भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" जहाँ दूसरी तरफ़ से फोन पर अनुराधा जी यानि कि सुमित की माता जी एक ही साँस में शिकायत-भरे लहजे के साथ ही अपने बेटे के प्रति अपनी फिक्र भी जताने में कोई कोताही नहीं बरत रही थीं वहीं दूसरी तरफ से स्पीकर मोड में अपना फोन डालकर मिस्टर सुमित बाबू यानि कि अनुराधा जी के सुपुत्र उनकी कुछ बातों को