दैहिक चाहत - 8

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उपन्‍यास भाग—८ दैहिक चाहत –८ आर. एन. सुनगरया, देव की सहानुभूति, सम्‍वेदनशीलता, हितैसी होने का एहसास, चाहत प्रदर्शन के अवसर, आत्मिय सम्‍बन्‍धों के आधिकारिक दावे-प्रतिदावे, सम्‍मोहित करने वाला मृदुवाणीयुक्‍त, बात-व्‍यवहार, अव्‍यक्‍त रिश्‍तों की मिठास-मधुरता अपने प्‍यारे प्रभावों को शनै: - शनै: मन-मस्तिष्‍क एवं आत्‍मॉंगन में स्‍थाई स्‍थापना सुनिश्चित करते रहने