प्रायश्चित - भाग-20

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हॉस्पिटल के अनेक गलियारों से गुजरते हुए , शिवानी किरण की बहन के पीछे पीछे यंत्रवत सी चली जा रही थी। शिवानी के मन में विचारों का झंझावात उमड़ घुमड़ रहा था। क्या बात करेगी वह किरण से! क्यों मिलने जा रही है उससे!! और साथ में दिनेश, इतने वर्षों बाद हम तीनों एक दूसरे से!!!! सामना, हे भगवान!! लौट जाऊं वापस!!!! नहीं नहीं, अब देर हो चुकी है ! हां, सामने कैंसर मरीजों का वार्ड ही तो दिख रहा है!!! नहीं आज मैं किरण से मिलकर ही जाऊंगी! मैं क्यों मुंह छुपाऊं! मैंने कौन सा अपराध किया है! अपराधी