राधारमण वैद्य-भारतीय संस्कृति और बुन्देलखण्ड - 16

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आज की कहानी और आलोचक के नोट्स राधारमण वैद्य ’’एक शानदार अतीत कुत्ते की मौत मर रहा है, उसी में से फूटता हुआ एक विलक्षण वर्तमान रू-ब-रू खड़ा है--अनाम, अरक्षित, आदिम अवस्था में खड़ा यह मनुष्य अपनी भाषा चाहता है, अपनी मानसिक और भौतिक दुनिया चाहता है ........’’ यह नयी कहानी की भूमिका है। इस कहानी को केवल जीवन के संदर्भो से ही समझा जा सकता है, युग के सम्पूर्ण बोध के साथ ही पाया जा सकता है। वह पहले और मूल रूप में है भी जीवनानुभव, सही रूप में अनुभूति की प्रामाणिकता। तो क्या इन पंक्तियों