शालू ने समीर का फोन नहीं उठाया और समीर ने फोन करना भी नहीं छोड़ा और अब आगे।।शालू को लखनऊ में आकर एक साल हो गए थे पर शालू अभी तक सोमू को ही अपने सपनों का राजकुमार ही मानती थी ।और उधर समीर भी खुद को दोषी मान कर काम में इतना बिजी हो गया था कि ना तो खाने की फुर्सत थी और ना तो सोने का ठिकाना था। कहते हैं ना प्यार में इंसान क्या-क्या न कर जाता है।समीर हर रोज एक बार शालू को फोन करता पर शालू फोन नहीं लेती थी। एक बार समीर ने बहुत सोचा