पावन ग्रंथ - भगवद्गीता की शिक्षा - 3

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अध्याय दो- ब्रह्मज्ञान अनुभव— दादी जी,अगर अर्जुन के हृदय में उन सबके लिए, जिन्हें युद्ध में मारना था,इतनी करुणा भरी थी,तो वह कैसे रणक्षेत्र में युद्ध कर सकते थे? दादी जी— बिलकुल यही तो अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था । उन्होंने कहा — मैं युद्ध में अपने बाबा, गुरु और अन्य संबंधियों पर कैसे बाण चला सकता हूँ?अर्जुन की बात ठीक थी ।वैदिक संस्कृति में गुरु और वृद्धजन आदर के पात्र हैं । किंतु धर्मग्रंथों में यह भी कहा गया है कि कोई