साजिद की समझ में कुछ नहीं आया। आर्यन ने उसे फ़िर से पूरी बात अच्छी तरह समझाई तब जाकर वो इसके लिए तैयार हुआ। फ़िर भी एक बार दोबारा बोला- यार, कोई ख़तरा तो नहीं है न इसमें? वो बेचारा सीधा- सादा है। ज़्यादा पढ़ा - लिखा भी नहीं है। किसी लफड़े में फंस तो नहीं जाएगा न वो?- अरे नहीं, उसका काम तो बस इतना सा है। फ़िर तो आगे हम सब संभाल लेंगे। सबसे ज़रूरी चीज़ यही है कि आदमी एकदम भरोसे का होना चाहिए। किसी को भी कुछ न बताए।- इसकी चिंता मत करो। भरोसे का तो