राजकुमारी राजकुमारी तीव्र गति से टेढ़ी-मेंढी पगडंडियों पर चली जा रही थी। चलते-चलते अस्फुट स्वर में वह स्वयं से बातें करती जा रही थी। वह जब कभी किसी परेशानी में घिरती या कोई कार्य- योजना बनाती तो एकान्त में अपने आप से बातें कर लेती। अपने कार्य की सफलता-असफलता पर मानों स्वंय ही संतुष्ट होने का प्रयास करती। इस प्रकार अपने आप से बातें करना, बड़बड़ाना उसके स्वभाव में घुल-मिल गया था। उत्तर प्रदेश के छोटे-से शहर उन्नाव के पुसू का पुरवा नामक गाँव की रहने वाली राजकुमारी निर्धन परिवार की महिला थी। सामान्य से कुछ लम्बे कद