ताश का आशियाना - भाग 5

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आज चित्रा ने सब खाली कर दिया जो भी गुबार था वो फट गया। उसका भी मन अब रेत की तरह हल्का होकर उडने लगा। “इसलिए तो उस दिन रोका नहीं तुम्हे?” एक निर्मोही पर दिल में काटे चुभोने वाली हँसी के साथ बोला। उसदिन चित्रा की सच्चाई बताने पर बस सिद्धार्थ शांत एक पुतला बनकर बिना हिले डुले बैठा रहा। उसने चित्रा को कुछ नहीं बोला, नाहीं चिल्लाया नाहीं उससे फालतू सवाल जवाब किए क्योंकि कमेंटमेंट उनके रिश्ते को लागू ही नहीं थे।