आग और गीत - 9

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(9) “तो क्या वह नर्तकी निकल गई होगी ? ” – जोली ने पूछा । “पता नहीं – चलो देखते है ।” – राजेश ने कहा । दोनों होटल के हाल में आ गये जहां हर वस्तु अब ठीक ठाक नजर आ रही थी । राजेश ने इधर उधर देखा फिर जोली से कहा । “उन सरदार जी को देख रही हो ? ” “वह वास्तव में चौहान है ।तुम उससे मिलो – मैं एक घंटा बाद होटल के बाहर वाले पार्क में तुमसे इसी भेस में मिलूंगा ।” – राजेश ने कहा औए जोली को वहीँ छोड़ कर मैनेजर