अच्छी बेटी

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बड़े ही मन से उसकी सहेलियों ने उसे दुल्हन के लाल जोड़े में सजाया था। बला की खूबसूरत नजर आ रही थी आज वो। अगर चाँद भी देख लेता तो शरम के मारे बादलो में अपना मुंह छुपा लेता। उसके गोरे गोरे हांथो में लगी मेहंदी रचने वाली थी। उस मेहंदी में छुपे उसके पिया का नाम मेहंदी के रंग को और गाढ़ा कर रहा था। उसकी सभी सहेलियां उसे उसके पिय का नाम लेकर बार बार चिढ़ा रही थीं। पर जैसे वो बुत सी बनी बैठी रही।उसे कुछ भी फर्क न पड़ रहा था। बस जो हो रहा होने