उपन्यास भाग—5 दैहिक चाहत – 5 आर. एन. सुनगरया, समाज की ईकाई है, परिवार, प्रत्येक सदस्य है, परिवार की ईकाई एवं परिवार रहित सदस्य समग्र सवमाज की ईकाई कहा जा सकता है। देवजी का स्थान भी समग्र समाज की ईकाई के समान है, समाज की सम्पूर्ण गतिविधियॉं एवं कार्यकलाप