लाल - हरी लाईट हम तो ठहरे छोटे से कस्बे में रहने वाले छोटे से आदमी । जब हमारे कस्बे में कोई कालेज खुल जाये , कोई अस्पताल दस से बीस बिस्तर का हो जाए या किसी चौक पर किसी महापुरूष की मुर्ति स्थापित हो जाए ; तब हमें अपने कस्बे के विकसित होने का पता लगता हैं। भला हो मंत्रियों का जो अक्सर भूमिपूजन और उद्घाटन करके हमारे कस्बे के विकास से हमें परचित कराते रहतें हैं। हमारे कस्बे में पुरानी टाकीज थी ,जिस दिन मॅाल खुला हमारा और आपका सीना छप्पन इंच का हो गया । कस्बे