पूरे रास्ते शिवानी, किरण व उसकी बीमारी के बारे में ही सोचती रही। जिस किरण से वह रात दिन, उठते बैठते, सालों से नफरत करती आई थी!! जिसके लिए उसने भगवान से हमेशा बददुआ के सिवा कुछ ओर ना मांगा!! आज उसके बारे में यह सब जानकार , पता नहीं क्यों उसे अच्छा नहीं लग रहा था। वह खुद नहीं समझ पा रही थी कि वह उसकी बीमारी की खबर सुनकर खुशियां मनाएं या दुख!!! अरे, मुझे तो खुशियां मनानी चाहिए। मेरे जीवन में जहर घोल दिया उसने। उसके पापा की, उसके नीच कर्मों की, उसे यही तो सजा मिलनी