मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय 18 कई दिन तक केसरादेई और उसकी कहानी मेरे दिमाग पर हावी रही । कैसे एक माँ अपने स्वार्थ के चलते किसी दूसरे की बेटी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है । और एक तेरह साल की लङकी ने माँ बाप की इज्जत और धर्म के नाम पर अपनी पूरी जिंदगी लुटा दी बिना शिकवा शिकायत किये । कितना सहना पङा होगा उस तेरह साल की बच्ची को । फिर आदि होती चली गयी होगी इस जिंदगी की । एक दम गोरी चिट्टी रंगत में जैसे गुलाब और केसर का चूर्ण मिलाकर विधाता ने