हद है पिताजी

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पवन जी एक 66 वर्षीय व्यक्ति हैं।वे शुरू से खाने-पीने के बेहद शौकीन हैं।दो तरह के लोग होते हैं, एक जो भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्रहण करते हैं।दूसरे वे होते हैं जो सिर्फ खाने के लिए जीते हैं।ऐसा प्रतीत होता है कि इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य खाना और सिर्फ खाना होता है।पवन जी इसी दूसरी श्रेणी के हैं।अक्सर कुछ न कुछ बनाते हैं, खाते हैं और परिवार के सदस्यों को भी खिलाते हैं।उम्र के इस दौर में जब पाचनतंत्र कमजोर हो जाता है लेकिन फिर भी जिह्वा पर विशेष नियंत्रण नहीं है।हाँ, मुँह में