अगले दिन रविवार था और प्रभात सुबह से माया के फोन पर फोन कर कर के त्रिधा से मॉल जाने के लिए ज़िद कर रहा था और त्रिधा की समझ से बाहर था कि आखिर प्रभात को अचानक हुआ क्या है इतने महीनों में तो कभी भी कॉलेज के अलावा कहीं जाने के लिए, मिलने के लिए ज़िद नहीं की फिर अचानक क्या हुआ। त्रिधा अभी सोच ही रही थी कि दोबारा फोन बजने लगा और माया उसके सामने आकर खड़ी हो गई और मुंह टेढ़ा करते हुए बोली " उसका इश्क़ चाय सा और तुम डायबिटीज की मरीज़ सी