मैं तो ओढ चुनरिया - 17

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय -17 पिताजी माँ की बात टाल गये । लेकिन माँ को जुनून सवार था इसलिए सुबह उठते ही उसने फिर से मकान बनाने की बात छेङी । पर पिताजी को काम पर जाना था और मुझे पढने सो बात बीच में ही रह गयी । समस्या पैसों की थी । मकान बनाना कोई गुङिया की शादी रचाना नहीं था । पर माँ की लगन का क्या करते । माँ मौके बेमौके मकान शुरु करने की बात ले बैठती । आखिर हार कर पिताजी नींव बनाने के लिए मान गये । माँ की खुशी का