मैं तो ओढ चुनरिया - 17

  • 7.3k
  • 1
  • 2.7k

मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय -17 पिताजी माँ की बात टाल गये । लेकिन माँ को जुनून सवार था इसलिए सुबह उठते ही उसने फिर से मकान बनाने की बात छेङी । पर पिताजी को काम पर जाना था और मुझे पढने सो बात बीच में ही रह गयी । समस्या पैसों की थी । मकान बनाना कोई गुङिया की शादी रचाना नहीं था । पर माँ की लगन का क्या करते । माँ मौके बेमौके मकान शुरु करने की बात ले बैठती । आखिर हार कर पिताजी नींव बनाने के लिए मान गये । माँ की खुशी का